fathima beevi supreme court judge: सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज फातिमा बीवी का निधन, केरल में ली आखिरी सांस।
सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश और तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल फातिमा बीवी का गुरुवार को 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह एक महान बहादुर महिला थीं, जिनके नाम अनगिनत रिकॉर्ड थे।
fathima beevi supreme court judge
केरल के पथानामथिट्टा में 30 अप्रैल 1927 को जन्मीं फातिमा बीवी ने पिता के कहने पर वकालत की पढ़ाई की हुए थी। वह 29 अप्रैल 1992 तक सुप्रीम कोर्ट की जज रह चुकी थी । 1997 से 2001 तक तमिलनाडु के राज्यपाल का पद संभाला था ।इस अवधि के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के चार हत्यारों ने उन्हें क्षमादान का अनुरोध भेजा था। फातिमा बीवी ने इसे खारिज कर दिया और फिर राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया था। यहां से सेवानिवृति के बाद उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में काम किया। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने फातिमा बीवी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक बहादुर महिला थीं, जिनके नाम कई रिकॉर्ड थे।
महिलाओं के लिए नए रास्ते बनने शुरू हुए (fathima beevi supreme court judge)
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फातिमा बीवी के सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनने के बाद देश की कई महिला वकीलों को नई दिशा मिली और महिलाओ में उम्मीद की किरण जगी । उनके बाद जस्टिस सुजाता मनोहर, जस्टिस रूमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, जस्टिस रंजना देसाई, जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।
वकील से मजिस्ट्रेट तक का सफर
केरल के कैथोलिकेट हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद फातिमा बीवी ने तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल किया । इसके बाद उन्होंने तिरुवनंतपुरम स्थित विधि महाविद्यालय से LLb की डिग्री ली और 1950 में वकील के रूप में पंजीकरण कराया। उन्हें 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद, 1968 में अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। फिर 1972 में वह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनीं।
बार काउंसिल गोल्ड मेडल पाने वाली पहली महिला (fathima beevi supreme court judge)
फातिमा बीवी 1950 के बार काउंसिल पेपर में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बाद बार काउंसिल गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला थीं।
1989 में पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट
फातिमा बीवी 1983 में केरल हाई कोर्ट की जज बनीं। इसके छह साल बाद 1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज के तौर पर नियुक्त होकर उन्होंने इतिहास बना दिया। इससे पहले 30 साल तक भारत के सुप्रीम कोर्ट में कोई महिला जज नहीं थी।