सीटी स्कैन से जल्द हो सकती है फेफड़ों के कैंसर की पहचान

 सीटी स्कैन से जल्द हो सकती है फेफड़ों के कैंसर की पहचान

 सीटी स्कैन से जल्द हो सकती है फेफड़ों के कैंसर की पहचान और देश में हर वर्ष करीब 1 लाख लोग फेफड़ों की कैंसर से पीड़ित होते हैं, जब तक बायोप्सी जांच की जाती है तब तक बीमारी काफी फैल चुकी होती है और सिटी स्कैन से अगर जांच होगी तो हमें जल्दी पता चल जाएगा विस्तार से जानने के लिए नीचे पढ़ें

 धूम्रपान के साथ-साथ अब प्रदूषण भी फेफड़ों के कैंसर का कारण बन रहा है. लेकिन शुरुआती चरण में इस बीमारी की पहचान  कर पाना एक बहुत बड़ी चुनौती है . अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम(UK) सहित कुछ देशों में  लो-डोज सीटी स्कैन फेफड़ों के कैंसर की स्क्रीनिंग में इस्तेमाल भी हो रही है. 

एम्स के पलमोनरी मेडिसिन विभाग…

इसके मध्य नजर एम्स के पलमोनरी मेडिसिन विभाग ने भी इस तकनीक से फेफड़ों के कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए अध्ययन शुरू किया है. डॉक्टर को उम्मीद है कि इस तकनीक से बीमारी की पहचान लक्षण आने से पहले हो सकेगी.

पलमोनरी मेडिसिन विभाग

 एम्स में अध्ययन के दौरान डाक्टर या परखना चाहते हैं कि भारतीय लोगों में फेफड़े के कैंसर की जल्दी पहचान हो और मृत्यु दर कम से काम करने में यह तकनीक कितनी मददगार होगी. देश में हर वर्ष करीब 1 लाख लोग फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित होते हैं पिछले वर्ष इसके 10371 मामले सामने आए थे ज्यादातर मरीजों में बीमारी की पहचान एडवांस स्टेज में होती है इस वजह से मरीज 8-9 महीने ही जिंदा रह पाते हैं.

कैंसर विशेषज्ञ ने बताया कि फेफड़े का कैंसर होने पर खांसी..

 एम्स के एक वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ ने बताया कि फेफड़े का कैंसर होने पर खांसी, बलगम, बलगम के साथ खून आने, सांस लेने में परेशानी होना, सीने में दर्द जैसे लक्षण होते हैं, कई अन्य बीमारियां और सीओपीडी( क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) मैं इस तरह के लक्षण होते हैं. इस वजह से मरीज नजरअंदाज करते हैं.

डॉक्टर आयुष गोयल

 मौजूदा समय में फेफड़े के कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए यहां कोई तकनीक इस्तेमाल नहीं होती है लक्षण वाले मरीजों की बायोप्सी के जरिए जांच होती है. यह बायोप्सी दो तरीके की होती है. कुछ मामलों में ब्रोंकोस्कोप की मदद से और कुछ मामलों में सीटी स्कैन की मदद से नीडल डालकर ट्यूमर का सैंपल लिया जाता है और उसे सिंपल की जांच होती है उसे पता लगाया जाता है फेफड़ों की कैंसर का, ताकि उन समस्याओं को निजात किया जाए.सीटी स्कैन से जल्द हो सकती है फेफड़ों के कैंसर की पहचान.

 जब तक बायोप्सी जांच की जाती है तब तक बीमारी काफी फैल चुकी होती है

 एम्स के पलमोनरी मेडिसिन के डॉक्टर आयुष गोयल ने बताया कि लक्षण वाले मरीजों की जब तक वापसी की जांच की जाती है तब तक बीमारी काफी फैल चुकी होती है.

 अध्ययन में उन लोगों को टारगेट किया जा रहा है जिन्हें शुरुआती स्टेज का ट्यूमर हो होता है, लेकिन लक्षण नहीं होता और वह शारीरिक रूप से ठीक दिख रहे होते हैं इसलिए 20 वर्षों से प्रतिदिन एक पैकेट सिगरेट पीने वाले 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग इस अध्ययन में शामिल होने के लिए एम्स में संपर्क कर सकते हैं.

इसके लिए लोगों को एक मोबाइल नंबर(9821735337) पर कॉल करना होगा. रेजिडेंट डॉक्टर फोन पर पहले पूरी जानकारी लेने के बाद अध्ययन के लिए मानकों को पूरा करने वाले लोगों को ओपीडी में बुलाकर लो- डोज सीटी स्कैन जांच कराएंगे. सीटी स्कैन से जल्द हो सकती है फेफड़ों के कैंसर की पहचान.

अमेरिका में सामान्य सीटी स्कैन जांच में रेडिएशन की जितनी डोज़..

 डॉक्टर बताते हैं कि अमेरिका में सामान्य सीटी स्कैन जांच में रेडिएशन की जितनी डोज़ लगती है उसके पांचवें हिस्से के बराबर की रेडिएशन डोज पर सीटी स्कैन कर फेफड़ों के टेंशन की स्क्रीनिंग का प्रावधान है. वहां हुए शोध में पाया गया है कि इस तकनीक से फेफड़ों की कैंसर से होने वाली मौतें 20% कब की जा सकती है

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